लेखनी कहानी -01-Sep-2022 सौंदर्या का अवतरण का चौथा भाग भाग 5, भाग-6 भाग 7 रक्षा का भारत आना ८- श्रेय

१२- श्रेया - श्रवण ने परिवार से छुपाई एक बात

लिस्ट में सबसे पहले मां ने रक्षा को गुझिया बनाने के लिए दूध का खोया एक किलो लिखने को कहा। दो किलो मैदा, दो किलो बूरा, ड्राई फ्रूट्स, नमकीन, बिस्किट और चिप्स पापड़ वगैरह लिखवाया। इसके अलावा मां ने रसोईघर के लिए तेल, घी, मसाला, दाल, चावल,बेसन आदि चीजें लिस्ट में जुड़वाई। रक्षा ने सारा सामान लिस्ट में लिखकर लिस्ट पिताजी को थमा दी। मां ने पिताजी को हिदायत देते हुए कहा- कि सारा सामान ठीक से देख कर लाना। समान में कोई गड़बड़ नहीं होनी चाहिए। पिताजी ने हां....में सर हिला दिया। पिता जी एक बैग लेकर बाजार के लिए निकल पड़े।

अब मां ने रक्षा और श्रवण को घर में सभी लोगों के लिए होली के लिए कपड़े लाने के लिए कहा- श्रेया का भी मन मचल रहा था। बाजार जाने के लिए। परंतु सासू मां श्रेया को ऐसी हालत में बाजार नहीं जाने देना चाहती थी। क्योंकि श्रेया की डिलीवरी का पूरा टाइम चल रहा था।और वह कोई रिस्क नहीं लेना चाहती थी। इसलिए श्रेया को मन मार कर घर में ही रहना पड़ा। श्रवन और रक्षा दोनों बाजार जाने के लिए तैयार हुए और सभी के नाप लेकर दोनों भाई बहन कपड़ा बाजार की तरफ निकल पड़े । कपड़ा बाजार श्रवन के घर से बहुत दूर था। अतः रक्षा और श्रवन को बाजार पहुंचने में बहुत समय लगा।रक्षा और श्रवन  दोनों की पसंद बहुत ही लाजवाब थी। इसीलिए मां ने उन्हें सब के कपड़े लाने का काम सौंपा। श्रेया घर में अकेली थी। उसे नींद भी नहीं आ रही थी। उधर रक्षा और श्रवन ने पूरा बाजार घूमा। बहुत कुछ ढूंढने के बाद  उन्होंने सभी के लिए एक-एक पोशाक पसंद की और खरीदने का निश्चय कर उसको पैक करवाया। दुकानदार को पैसे देकर बिल बनवाया, और कपड़ों का पैकेट उठाते हुए श्रवन ने दुकानदार को कहा,- कि यदि किसी कपड़े में कोई समस्या हुई, तो वह उसे बदलने आएंगे अब दुकानदार ने बदलने के लिए हां कह दी। तब श्रवन और रक्षा कपड़ों के सारे पैकेट लेकर के घर की ओर ओर निकल पड़े। घर पहुंचने में रक्षा और श्रवण को काफी समय लगा क्योंकि घर बाजार से बहुत दूर था घर पहुंचते ही रक्षा और श्रवन ने पानी मांगा। श्रेया ने उनको पानी ला कर दिया और मां जी ने चाय बनाई। चाय पीते ही  उन दोनों की थकान कुछ काम हुई। तब तक घर के सारे सदस्य अपने अपने कपड़ों के देखने के लिए वहां पहुंच चुके थे। श्रवन और रक्षा सभी को एक-एक कर उनके अपने अपने के पैकेट पकड़ाकर उनसे उनके कपड़े नाप लेने को कहा। कपड़े लेकर  सभी लोग अपने अपने कमरे में चले गये। सभी ने अपने कमरे में जाकर अपने अपने कपड़ों का ट्रायल लिया सभी सभी ने ट्रायल लेने के बाद अपने कपड़ों को उतार कर तहा कर रख दिया और बाहर आकर श्रवन को बताया कि सभी के कपड़े साइज के हैं और सबको पसंद है। तो चिंता की कोई बात नहीं है। 

अब श्रवन अपने कमरे में जाकर आराम करने लगा। क्योंकि वह  बाजार जाकर बहुत थक गया था। उसको नींद आने लगी  थी और वह थोड़ी देर सोना चाहता था। श्रेया ने उसे सो जान को कहा। और वह थोड़ी ही देर में सो गया। उधर श्रवन के पिताजी घर का सारा सामान लेकर आ चुके थे। मां ने थैलों से सारा सामान निकाला, और चेक किया। आज पिताजी जो भी सामान लाए थे। सभी सामान ठीक था। मां को पिताजी से कुछ कहना नहीं पड़ा, तो पिताजी बहुत खुश हुए और बोले । यार! जिंदगी में पहली बार ऐसा हुआ है कि तुमने मेरे  लाए हुए सामान में तुम्हें कोई कमी नजर नहीं  निकाली। घर में खुशी का माहौल देखकर आज पिताजी भी बहुत खुश थे। अगले दिन होली थी। बड़ी धूमधाम से होली खेलने का विचार सभी के मन में था। पिताजी सामान के साथ कई तरह के रंग भी लेकर आए थे। इसके अलावा पिताजी होलिका दहन के समय के लिए गेहूं, जौ की वाली भी लेकर आए थे।जिसको लेकर घर के सभी पुरुष होलिका दहन में जाते हैं।और उसको भून कर परिक्रमा करते हुए चढ़ाते हैं। एक दूसरे को उसके दाने देकर होली की शुभकामनाएं देते हैं,  गले मिलते हैं और बड़ों के पैर छूकर आशीष प्राप्त करते हैं। वहीं सभी अपनों से छोटों को आशीर्वाद और प्यार देते हैं। अगले दिन होलिका दहन के समय घर के सभी पुरुष होलिका दहन में शामिल होने गए। और सभी ने जौ, गेहूं की वाली को भूनकर परिक्रमा करते हुए चढ़ाया और एक दूसरे को प्रणाम किया, गले मिले और आशीर्वाद लिया।उसके बाद होली की अग्नि को घर लेकर आएं। उसी होली की अग्नि से घर में एक छोटी सी होलिका का दहन किया गया। जिसमें घर की औरतों मेने जौ और गेहूं की वाली को भून कर होली की परिक्रमा करते हुए मधुर स्वर में होली गीत गाए और आनंद के साथ नृत्य किया। घर के सभी लोग झूम झूम नृत्य कर रहे थे। श्रेया यह सब देख  रही थी, उसका भी मन मयूरा नाचने को कर रहा था।  परंतु बहुत खुश होते हुए भी श्रेया के मन में कहीं एक दर्द की परत जमी रहती थी। जो श्रवन और श्रेया ही आपस में बात करते और उस बात  को दबाए रहते। आखिर ऐसी कौन सी बात थी, जो श्रेया और श्रवन को अंदर ही अंदर परेशान कर रही थी। जिसके बारे में घर परिवार में कोई नहीं जानता था, श्रेया और श्रवन उसके बारे में समय आने पर घर परिवार को बताने के लिए सोचते  रहते पर फिर भी डरते थे। आखिर उस बात को बताने पर क्या परिणाम निकलेगा।

सभी लोग होलिका दहन के पश्चात होली खेलने के लिए अपने हाथ में अबीर गुलाल लेकर होली खेलने की तैयारी में थे और एक दूसरे के गुलाल लगाकर होली की शुभकामनाएं दे दे रहे थे। सुबह से लेकर दोपहर तक सभी ने जम के रंग खेला। पूरे घर में रंग ही रंग दिखाई दे रहा था। सभी ने मिलकर घर की सफाई की और नहा धोकर  सभी ने एक साथ बैठकर खाना खाया। खाना खाने के बाद सभी ने नए कपड़े पहने, इतने में श्रेया के माता पिता अपनी बेटी और सभी से मिलने के लिए आए थे। सभी ने उनका स्वागत किया अपने माता पिता को घर पर देख कर श्रेया बहुत खुश हुई, और मां के गले लग गई। श्रेया की मां ने बेटी दामाद को प्यार किया और हालचाल पूछा। उन्होंने श्रेया की डिलीवरी के बारे में श्रवन से पूछा- उसने अपनी सासू मां को बताया कि श्रेया की डिलीवरी बहुत जल्द होने वाली है। बस दुआ कीजिए सब कुछ ठीक से निबट जाए। इतने में  सासु मां ने श्रेया को आवाज लगाई। श्रेया उठकर रसोई घर में गई और सासू मां से पूछा-कि वह उसे क्यों बुला रही थी। सासू मां ने कहा यह मैंने खोया मिला कर रख दिया है, अब हम सभी बैठकर पहले गुझिया बनाएंगे उसके बाद आने जाने वालों को यही गुझिया सभी को  खिलाएंगे। मां ने कहा- जल्दी करो थोड़ी देर में यह गुझिया बनकर खाने के लिए तैयार हो जाएंगे।

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13 Comments

Pallavi

10-Sep-2022 11:07 PM

Nice post 👌

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Chirag chirag

10-Sep-2022 06:47 PM

Very nice

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Seema Priyadarshini sahay

10-Sep-2022 06:18 PM

बहुत ही बेहतरीन भाग

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